Home Local News 200 साल पुराना ऐतिहासिक श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर प्रांगण में भजन संध्या का आयोजन

200 साल पुराना ऐतिहासिक श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर प्रांगण में भजन संध्या का आयोजन

by Bangal Times
रानीगंज : रानीगंज के तारबांग्ला स्थित 200 साल प्राचीन ऐतिहासिक श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर प्रांगण में सोमवार की देर शाम भजन संध्या का आयोजन किया गया। भजन संध्या में रानीगंज के मशहूर गायक अजित विश्वास ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किए। जिसे सुनकर उपस्थित भक्तगण भाव-विभोर हो उठे।इस दौरान बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया था।इस मौके पर अजित बिस्वास,गौतम लाहा,विद्युत लाहा,सुनील गुप्ता,गौतम रक्खीत,गंगा शाव,अजित पाण्डेय,संदीप पाठक,रोहित केउरा,राजेश खत्री समेत भक्तगण मौजूद थे।इस दौरान भजन गायक अजित विश्वाश ने बताया कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे इस पवित्र स्थान पर भजन गाने का अवसर मिला। भक्तों की श्रद्धा और समर्पण देखकर मन गदगद हो गया।उन्होंने कहा कि श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर की स्थापना के पीछे अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं।
श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर का निर्माण प्राय लगभग 200 साल पहले हुआ था। इस मंदिर के निर्माण के पीछे का उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति और पूजा को बढ़ावा देना था। समय के साथ इस मंदिर ने अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और भी बढ़ाया। मंदिर के प्रांगण में स्थित शिवलिंग की मान्यता है कि यहां की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह, जहाँ भगवान शिव का पवित्र शिवलिंग स्थापित है, भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है। मंदिर में नियमित रूप से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। महाशिवरात्रि, सावन के महीने में विशेष पूजा और भजन संध्या जैसे आयोजन इस मंदिर में धूमधाम से मनाए जाते हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों की आस्था और श्रद्धा इस मंदिर की महत्ता को और बढ़ाती है। यहां आने वाले भक्त मानते हैं कि भगवान शिव की पूजा और आराधना से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। रानीगंज का श्री नागेश्वर शिव ठाकुर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने का भी कार्य करता है। इस मंदिर की स्थापना और इसकी धार्मिक महत्ता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।

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