इस कार्यशाला में हिस्सा लेने वाली एक विद्यार्थीयों ने बताया की रवींद्रनाथ टैगोर की कविता हो या गाने या नृत्य उन में भाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है लेकिन धीरे-धीरे हम सब उसे दूर होते जा रहे हैं इस कार्यशाला में डॉक्टर सुमित बसु ने उसे भाव के बारे में बताया हमें अवगत कराया और हमें इस कार्यशाला में रविंद्र नृत्य और उसके भाव के बारे में काफी कुछ नया सीखने को मिला। भारत में कला केंद्र के संपादक सौरभ चटर्जी ने कहा कि उनकी संस्था की तरफ से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार इस तरह के आयोजन को किया जाता है रानीगंज में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया यहां से कारवां उत्तर पाड़ा जाएगा इसके बाद सिलीगुड़ी कोच बिहार इसी तरह से हर जिले में इस तरह के कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा ताकि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिल सके
तीन दिवसीय ‘शांतिनिकेतन की नृत्य धारा’ कार्यशाला का संपन्न
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